नई दिल्ली। टू-जी घोटाले में प्रधानमंत्री को जेपीसी की रिपोर्ट में क्लीनचिट देने की तैयारी है। सूत्रों के हवाले से पता चला कि सारा दोष पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए.राजा पर मढ़ा गया है और ये भी कहा गया है कि एक लाख छिहतर हजार करोड़ का नुकसान नहीं हुआ। जेपीसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि उस वक़्त के टेलीकॉम मंत्री ए.राजा ने नीति में बदलाव की जानकारी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उस वक्त के वित्त मंत्री पी चिदंबरम को नहीं दी थी। जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2-जी का लाइसेंस 'पहले आओ पहले पाओ' की नीति पर दिया गया था, लेकिन कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए इस पॉलिसी के मानदंडों में छेड़छाड़ की गई। इस मामले में प्रधानमंत्री और पी.चिदंबरम की कोई भूमिका नहीं थी। ए.राजा ने यह बदलाव प्रधानमंत्री को बिना जानकारी दिए ही किए थे। जेपीसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में पीएम को क्लीनचिट देते हुए कहा गया है कि समिति का मानना है कि लाइसेंस देने के टेलीकॉम विभाग की प्रक्रिया में प्रधानमंत्री को गुमराह किया गया। साथ ही तय नियमों में पूरी पारदर्शिता बरतने के लिए टेलीकॉम मंत्री के प्रधानमंत्री के आश्वासन का भी पालन नहीं हुआ। जेपीसी की रिपोर्ट में सीएजी पर निशाने साधते हुए कहा गया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार के हर अंग से उम्मीद की जाती है कि अधिकतम सावधानी बरतते हुए तय सीमा नहीं लांघी जाए। इसलिए समिति एक कल्याणकारी राज्य में सरकार की नीतियां बनाने के अधिकार की पुष्टि करते हैं और किसी भी स्थिति में इन नीतियों का ना तो ऑडिट हो सकता है और ना ही नुकसान का हिसाब लगाया जा सकता है। कुछ दिनों पहले ही बीजेपी ने जेपीसी के चैयरमेन पीसी चाको की यह कहकर आलोचना की थी कि वे प्रधानमंत्री को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। (साभार, एबीपी)
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