नई दिल्ली, एनएफए। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने फांसी के मामले में एक और दया याचिका खारिज कर दी है। रेप में दोषी ठहराए गए हरियाणा के धर्मपाल ने पैरोल पर रिहा होने के बाद रेप पीड़िता परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी थी। धर्मपाल की 14 सालों से दया याचिका पेंडिंग में थी जिसे प्रणव मुखर्जी ने खारिज कर दी। अब अगले हफ्ते धर्मपाल को फांसी दी जाएगी। 1991 में धर्मपाल पर सोनीपत में एक लड़की के साथ रेप के आरोप लगे। 1993 में इसे 10 साल कैद की सजा मिली। धर्मपाल ने लड़की को कोर्ट में गवाही देने पर धमकी दी थी। वह 1993 में पांच दिनों के लिए पैरोल पर रिहा हुआ। जब लड़की के परिवार वाले सो रहे थे तब धर्मपाल ने इन पर हमला बोल दिया। धर्मपाल ने पीड़िता के माता-पिता तले राम और कृष्णा, बहन नीलम, भाई प्रवीण और टीनू पर अंधाधुंध लाठी चलाकर हत्या कर दी। धर्मपाल के भाई निर्मल ने इनकी हत्या करने में मदद की थी। दोनों को मौत की सजा दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 1999 में धर्मपाल की सजा कायम रखी लेकिन निर्मल की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी। निर्मल 2001 में पैरोल पर रिहा हुआ तो फरार हो गया। उसे 10 साल बाद फिर से अरेस्ट किया गया। धर्मपाल ने पहले 1999 में दया याचिका दाखिल की। अगले ही साल दया याचिका खारिज कर दी गई। उसने फिर से 2005 में दया याचिका दाखिल की लेकिन तब से पिछले साल दिसंबर तक याचिका पेंडिंग में पड़ी रही। इसके बाद गृह मंत्रालय ने धर्मपाल समेत 7 दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने धर्मपाल की याचिका खारिज कर दी। अब हरियाणा सरकार धर्मपाल की फांसी के लिए तैयारी कर रही है। हरियाणा में 19 जेल हैं लेकिन अंबाला और हिसार में ही फांसी देने की सुविधा है। अंतिम फांसी 1989 में अंबाला जेल में हत्यारा गुलाब सिंह को दी गई थी। धर्मपाल फिलहाल रोहतक जेल में है। हरियाणा के पास को जल्लाद मौजूद नहीं है। हालांकि जेल सुपरिंटेंडेंट इसके लिए किसी को भी उचित समझकर जिम्मेदारी दे सकते हैं। सोनीपत ट्रायल कोर्ट से डेथ वॉरंट मिलने के बाद सरकार कुछ औपचारिकता पूरी करेगी। इसके बाद फांसी की तारीख तय हो जाएगी। (साभार, एनबीटी)
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