नई दिल्ली। जेडी (यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले एनडीए में 2014 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री प्रत्याशी को लेकर कलह बढ़ने लगा है। एक तरफ जेडी (यू) बीजेपी पर दबाव बना रहा है कि वह प्रधानमंत्री प्रत्याशी के लिए नाम का खुलासा करे वहीं बीजेपी अपने हिसाब से वक्त का इंतजार कर रही है। नीतीश कुमार चाहते हैं बीजेपी पीएम प्रत्याशी घोषित करने में ज्यादा देर न करे। लेकिन बीजेपी ने भी साफ कर दिया है कि वह इस मुद्दे पर किसी के दबाव में नहीं आने वाली है। बीजेपी ने साफ कि या हम किसे प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनाएंगे यह बीजेपी संसदीय बोर्ड का मामला है। नीतीश कुमार ने यह कहकर दबाव बना दिया है कि पीएम प्रत्याशी वही होगा जो जिसकी सेक्युलर साख है। ऐसे में बीजेपी शायद ही कोई वैसा कदम उठाएगी जिससे एनडीए का कुनबा छोटा हो। बीजेपी को अब तक पिछले लोकसभा चुनाव का गम सता रहा है जिसमें नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया था। इसके बाद ओडिशा में बीजेपी बुरी तरह से पीट गई थी। जेडी (यू) ने साफ कर दिया है कि दिल्ली में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बैठक में 2014 के आम चुनाव में पीएम प्रत्याशी पर प्रमुखता से चर्चा होगी। इस बैठक में नीतीश कुमार इस मसले पर प्रस्ताव पास करा सकते हैं कि बीजेपी पीएम प्रत्याशी की घोषणा जल्द करे। दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी प्रस्ताव पास कर इस मसले पर अंतिम फैसले के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अधिकृत कर सकती है।
इस बार बीजेपी की कोशिश है कि वह जेडी(यू) को किसी भी हाल में एनडीए से अलग नहीं होने दे। लेकिन पार्टी के अंदर से कार्यकर्ताओं का दबाव है कि नरेंद्र मोदी को बतौर पीएम प्रत्याशी घोषित किया जाए। कुल मिलाकर बीजेपी का संसदीय बोर्ड अपने घटक दल और कार्यकर्ताओं के दबाव में है। उसके लिए नरेंद्र मोदी पर कोई फैसला लेना आसान नहीं होगा। दरअसल, नरेंद्र मोदी से बीजेपी और नीतीश कुमार का वोट बैंक सीधे तौर पर जुड़ा है। एक तरफ बीजेपी नरेंद्र मोदी को मैदान में उताकर आक्रामक हिन्दुत्व पेश करने के मूड में है तो दूसरी तरफ इससे नीतीश कुमार का वोट बैंक प्रभावित होगा। हालांकि नीतीश कुमार के लिए भी बीजेपी छोड़ना बहुत आसान नहीं होगा क्योंकि बिहार में सवर्णों का वोट बीजेपी से जुड़ा है। जबकि बिहार में पिछडे़ और दलित मुसलमानों का वोट पिछले चुनाव नीतीश को मिला था। (साभार,एनबीटी)
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