कमल शर्मा, मुम्बई। यशवंत जी, नमस्काyर। भड़ास के पांच साल (17 मई
2008 से 17 मई 2013) पूरे होने पर मेरी दिल से बधाई स्वीबकार करें। भारी आर्थिक
दिक्तवत और मुकदमों के ढेर में आपने जिस साहस और उत्सा ह के साथ भड़ास को निरंतर
चालू रखा है, वह हर
किसी के वश की बात नहीं है। आपके उत्साेह को देखकर यह कह सकता हूं कि देश के 90
फीसदी पत्रकारों में ऐसा उत्साकह और जज्बाे हो तो वाकई वह पत्रकारिता नजर आएगी
जिसके लिए हम सभी चर्चा करते हैं। लेकिन केवल नौकरी भर करने और 1 तारीख को सैलेरी
लेकर इतिश्री करने की आदत ने पत्रकारिता के जलवे को समाप्त कर दिया। पत्रकारों के
लिए भड़ास एक अच्छाव मंच साबित हुआ है, जहां दुनिया के दुख-दर्द लिखने
वाले के दर्द और सुखों की समाचार आते हैं। भड़ास कई लोगों को पसंद नहीं है, कुछ इसे अच्छाय मानते हैं, मतभेद हैं। लेकिन ऐसा प्रयास
पहले कभी नहीं हुआ था, इसे सभी
मानते होंगे। अनेक मीडिया संस्था नों में भड़ास पढ़ने पर रोक हैं, वहां यह साइट नहीं खुलती। यह उन
प्रबंधन का निर्णय है लेकिन हवा के झोंके को हम अपने घर की खिड़कियां बंद कर आने
से रोक तो नहीं सकते। हवा हमेशा चलती रहेगी, दौड़ती रहेगी, उसे रोका नहीं जा सकता। खैर! भड़ास
के पांच साल पूरे होने पर मेरी दिल से बधाई। उम्मीगद है अगले पांच साल में भड़ास
का रंग रूप अपने यौवन पर होगा और पत्रकार समुदाय के लिए भड़ास उनका घर बना रहेगा
जहां आकर सभी पत्रकारों को जीवन की कड़ी धूप में ठंडी छांव का अहसास होगा। (विस्तृत जानकारी के लिए क्लिक करें---http://bhadas4media.com/article-comment/10616-2013-04-22-06-08-05.html)
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