देहरादून। पिछली भाजपा सरकार के दौरान आवंटन को लेकर विवादों में घिरी 56 लघु जलविद्युत परियोजनाएं जल्द शुरू होंगी। तकरीबन 700 मेगावाट की इन परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव की अध्ययन रिपोर्ट सरकार को मिल चुकी है। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि परियोजनाओं का आवंटन निविदा के जरिए पारदर्शी तरीके से किया जाएगा। तीन साल के भीतर कई परियोजनाओं से बिजली उपलब्ध होगी। उद्योगों को भी पर्याप्त बिजली मिलेगी। उधर, पर्यावरणीय बंदिशों के चलते गंगा पर रोकी गई बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं के मामले में उत्तराखंड की नजरें गंगा रिवर बेसिन अथारिटी की भावी बैठक पर टिकी हैं। लघु जलविद्युत परियोजनाएं प्रदेश में बिजली संकट की तारणहार बनेंगी। विभिन्न नदियों में चिन्हित की गई ऐसी 56 लघु जलविद्युत परियोजनाओं के मामले में प्रदेश सरकार को पर्यावरणीय प्रभाव संबंधी अध्ययन रिपोर्ट मिलने से राज्य की उम्मीदें फिर से जवां हो गई हैं। मुख्यमंत्री के मुताबिक अगले दो-तीन माह में इसके आवंटन की प्रक्रिया शुरू होगी। परियोजनाएं तय समय पर बनीं तो तीन साल बाद प्रदेश को जरूरत के लिए पर्याप्त बिजली उपलब्ध होगी। खासकर उद्योगों को बिजली की कमी नहीं झेलनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं लखवाड़-व्यासी को केंद्र से हरी झंडी मिल चुकी है। वहीं किसाऊ बांध परियोजना जल्द शुरू होने के आसार हैं। इस बाबत वह हिमाचल प्रदेश जाएंगे। गंगा नदी पर रोकी गई बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में उन्होंने कहा कि इस पर बीके चतुर्वेदी रिपोर्ट का इंतजार है। गंगा रीवर बेसिन अथारिटी की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा होगी। राज्य की नजरें उक्त बैठक पर भी टिकी हैं। नई दिल्ली दौरे के संबंध में उन्होंने कहा कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत की ओर से उठाए गए मसलों पर संबंधित मंत्रालयों से चर्चा हुई। केंद्रीय नेताओं को भी वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया है। अब केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया जाएगा कि केंद्र से उक्त मसलों के जल्द निपटारे में सहयोग करें। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को निकाय चुनाव की तैयारी, प्रदेश संगठन की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई। (साभार, दैजा)
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